कल रात चांदनी मुस्कुराई थी, तारू के बीच से वो मुस्कुराई थी ,
चमका था चेहेरा बिन दांतों वाला ,
जिसने आनायास ही मेरे हृदय को मथ डाला ,
दौड़ कर भर लिया बाहों में उसको ,
लगा समा लूंगी साँसों में उसको ,
झटके से टूटी नींद टूटा वो सपना ,
खो गया वो जो थोडी देर पहले था अपना .
प्यार भरी चोट मेरी छाती पर मार के ,
दबा गया मुझे अनजाने प्यार के भार से ,
आँखे नम है , थकती नहीं उसका इंतज़ार करके ,
जो आयेगा एक दिन सात समुन्दर पार कर के.
कान सुनेगे कब उसकी मीठी वाणी ,
तोतली भाषा में जब वो बोलेगा नानी,
अनबोली बोली से गीत वो सुनाएगा ,
और मुझे स्वर्ग का आनंद भी दिलाएगा.
चले आओ राघव नानी रही है बुला ,
आकर मेरे कानो में अमृत की बूँद तो टपका,
हर पल हर क्षण अब यही नाम याद आता है,
बाक़ी जीवन से अब न कोई नाता है.
उनकी याद में जो बस गए विदेश में
प्रीती नानी